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मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड

(पूर्व में मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड)

खान मंत्रालय, भारत सरकार का उद्यम, मिनीरत्ना-I सीपीएसई

MINERAL EXPLORATION AND CONSULTANCY LTD.

(Formerly Mineral Exploration Corporation Ltd.)

Ministry of Mines, Govt of India Enterprise, MINIRATNA-I CPSE

An ISO 9001:2015, 14001:2015 & 45001:2018 Certified Company


पर्यावरण अध्ययन

अब तक लगभग 50 परियोजनाओं का कार्य किया गया है । एमईसीएल को एनआरसीए ने सूचीबद्ध किया है । यह भूवैज्ञानिक और भूभौतिकीय पहलुओं से संबंधित आईएमएसडी के निर्णय कार्यान्वित करने के बारे में कार्यक्रमों में भाग ले सकता है ।
 

एमईसीएल ने अंतरिक्ष-जात सुदूर संवेदी प्रविधियों की असीम अनुप्रयोग संभावना की सजीव कल्पना बहुत पहले ही कर ली थी और 1989 में पर्यावरणीय एवं सुदूर संवेदी इकाई की स्थापना की । विभिन्न अनुप्रयोगों हेतु सुदूर संवेदी अध्ययन करने के लिए उच्च योग्यताप्राप्त भू-वैज्ञानिकों की एक टीम है जिसे लंबा और विविधरूपी अनुभव है । इस टीम के सदस्यों के पास विदेशी विशेषज्ञों के साथ कार्य करने का अनुभव है और वे कंप्यूटरीकृत आरेखनों, छायाचित्रों, अनुसूचियों, लेखाचित्रों, विश्लेषण, आदि के साथ एक उचित वैज्ञानिक, समझने में आसान रूप में अन्वेषण अध्ययनों के निष्कर्षों को प्रस्तुत करने में सक्षम हैं ।
 
 प्रस्तावित सेवा
 
 खनिज लक्ष्यनिर्धारण (लिग्नाइट)
  लिथो-स्ट्रक्चरल मैपिंग खनिज लक्ष्य निर्धारण
 लिथो- स्ट्रक्चरल मैपिंग के लिए सुदूर संवेदी आंकड़ा अत्यंत कारगर ढंग से उपयोग किया जा सकता है ।
 
खनिज लक्ष्यनिर्धारण (कोयला)
 सुदूर संवेदी अध्ययन सिंगरौली मेन बेसिन के पश्चिमी भाग में किया गया । सुदूर संवेदी आंकड़ा निर्वचन और अन्य संपाश्र्विक आंकड़ों पर आधारित 5 आशाप्रद जोन परिलक्षित किए गए । वेधन द्वारा परवर्ती गवेषण से परिणामों को सिद्ध किया गया ।
 
खनिज लक्ष्यनिर्धारण (अन्य खनिज)
जोन्नागिरि शिस्ट-प्रॉविंस स्वर्णधारक लिथो-स्ट्रक्चरल प्रॉविंस प्रदर्शक लिस-पपप के एफसीसी और पैन मज्र्ड इमेज प्रायमरी और सेकंडरी फोल्ड स्ट्रक्चर्स,फाल्ट्स लाइनमेंट्स मेटामॉर्फिक्स, इंट्रूजिव्स,ग्रेनोडायोराइट्स और यंगर पिंक ग्रेनाइट्स जैसे विभिन्न लिथोयूनिट्स प्रदर्शक इमेज का रिमोट सेन्सिंग डेटा से निर्वचन किया गया । अध्ययन से फाल्ट्स, फोल्ड्स और इंट्रूजिव से संबद्ध सात शियर्ड जोन्स का पता चला ।
 
 इस अवस्थिति में दो तारीखों या समयों का डेटा सम्मिलित किया जाता है और फिर परिवर्तन की दर जानने के लिए परिवर्तन के कारणों आदि का पता लगाने के लिए लैंड यूज लैंड कवर, मार्फोलॉजी आदि में घटित परिवर्तनों की तुलना की जाती है । इस प्रकार के अध्ययन से खनन आदि जैसी किसी भी विकासात्मक गतिविधि के कारण किसी क्षेत्र में परिवर्तनों का मूल्यांकन करने में मदद मिलती है । यह वनरोपण, नगर योजना, आदि के मॉनीटरन में भी उपयोगी है ।
 
रिमोट प्रोजेक्ट लिस्ट
 पर्यावरणीय अध्ययन
 स्थल लक्षण-चित्रण अध्ययन
 भूजल अध्ययन
 भूवैज्ञानिक संसाधन मानचित्रण
 
 राष्ट्रीय समितियों, परियोजनाओं में सदस्यता और समझौता ज्ञापन
  एनएनआरएमएस, अंतरिक्ष विभाग की स्थायी समिति (भूविज्ञान) में नामांकन ।
 भारत और विदेश में सहयोगात्मक उपक्रमों के लिए एनआरएसए के साथ समझौता ज्ञापन ।
 केन्द्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के साथ समझौता ज्ञापन ।
 एमईसीएल अलग-अलग विषय क्षेत्रों के बारे में राज्य और केन्द्र सरकार की अन्य समितियों में प्रतिनिधि होता है ।
 
 आधार रेखा पर्यावरणीय अध्ययन जिसमें शामिल है .
 पर्यावरणीय विश्लेषण
 पर्यावरणीय मॉनीटरन
 पर्यावरणीय संघात
 पर्यावरणीय समस्याओं के लिए जीआईएस अनुप्रयोग
 
 भूमि उपयोग भूमि रक्षण अध्ययन

मुख्य व्यवसायिक कार्यालय:-

डाॅ.बाबासाहब आंबेडकर भवन,
सेमिनरी हिल्स, नागपुर- 440 006
महाराष्ट्र, भारत.
Call : 0091-712-2510310, 2511833
e-mail : headbd[at]mecl[dot]gov[dot]in
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